गणेश जी कैसे बने एकदंत
एक समय की बात है एक बार परशुराम जी महादेव से मिलने के लिए कैलाश पर्वत पर गए. उस समय भगवान गणेश द्वार पर रक्षक बन खड़े थे. तब परशुराम जी ने गणेशजी से कहा- मुझे महादेव से मिलना है, मुझे अंदर जाने दें. गणेश जी ने परशुराम को अंदर नहीं जाने दिया. इस पर परशुराम जी को क्रोध आ गया. परशुराम जी ने गणेशजी को कहा- यदि मुझे अंदर नहीं जाने दिया तो मुझसे आपको युद्ध करना पड़ेगा. और यदि मैं युद्ध में विजयी हुआ तो मुझे भगवान शिव से मिलने अंदर जाने देना होगा. भगवान गणेश ने युद्ध की चुनौती स्वीकार की. दोनों के बीच बड़ा भीषण युद्ध चला. युद्ध के दौरान परशुराम जी ने अपने फरसे से भगवान गणेश पर वार किया और परशुराम जी के फरसे से उनका एक दांत टूट कर वहीं गिर गया. उसके बाद से ही गणेश जी एकदंत कहलाए.
गजानन से जुड़ी अन्य कथाएं
अन्य कथाओं के अनुसार गणेश का परशुराम नहीं भाई कार्तिकेय की वजह से गणेश जी का दांत टूटा था. दोनों भाईयों के विपरीत स्वभाव के चलते शिव-पार्वती काफी परेशान रहते थे, क्योंकि गणेश जी कार्तिकेय को बहुत परेशान करते थे. ऐसे ही एक झगड़े में कार्तिकेय ने भगवान गणेश को सबक सिखाने का निश्चय किया और उन्होंने गणपति की पिटाई कर दी जिससे उनका एक दांत टूट गया.
इसके अलावा यह भी कथा प्रचलित है कि महाभारत लिखने के लिए महर्षि वेदव्यास ने गणेश जी के आगे शर्त रखी. शर्त यह थी कि वो बोलना नहीं बंद करेंगे, यानि वे लगातार बोलेंगे और गजानन को बिना रुके लिखेंगे ऐसे में गणेश जी ने अपना एक दांत खुद ही तोड़कर उसे कलम बना लिया.
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